कोर्ट के सवालों का नहीं दे पाए स्पष्ट जवाब, हाईकोर्ट गए शिक्षक पर 50 हजार का जुर्माना


प्रयागराज हाईकोर्ट ने डीघ ब्लॉक, जौनपुर के कलिकमवैया स्थित कंपोजिट विद्यालय में तैनात बर्खास्त सहायक अध्यापक शैलेन्द्र कुमार सिंह की याचिका खारिज कर दी है। साथ ही कोर्ट ने उन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिका पर सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से न्यायाधीश द्वारा कुछ महत्वपूर्ण सवाल पूछे गए, तो उनके संतोषजनक उत्तर नहीं दिए गए। ऐसे में याचिका को निराधार मानते हुए खारिज कर दिया गया।


शैलेन्द्र कुमार सिंह, जो मूल रूप से वाराणसी के हरहुआ क्षेत्र के निवासी हैं, की नियुक्ति डीघ ब्लॉक के कलिकमवैया कंपोजिट विद्यालय में सहायक अध्यापक पद पर हुई थी। नियुक्ति के दौरान उन्होंने सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के फर्जी शैक्षणिक दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था।

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शिक्षकों के शैक्षणिक अभिलेखों को प्रेरणा पोर्टल पर दर्ज करने की प्रक्रिया के दौरान जब उनके दस्तावेज संदिग्ध पाए गए, तो शिक्षा विभाग ने उनका सत्यापन करवाया। जांच में यह प्रमाणित हुआ कि प्रस्तुत दस्तावेज फर्जी हैं। इसके बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।

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बर्खास्तगी के आदेश को चुनौती देते हुए शैलेन्द्र कुमार सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने न सिर्फ उनकी याचिका खारिज कर दी, बल्कि उन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

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यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने पारित किया। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद याचिकाकर्ता के वकील द्वारा स्पष्ट जवाब न देने के कारण यह जुर्माना लगाया गया है।

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यह फैसला शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता बनाए रखने की दिशा में एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

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