UP Outsourcing News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग कंपनियों के जरिए हो रही भर्तियों को बंद करने का बड़ा फैसला लिया है। अब सरकार खुद 'आउटसोर्स कर्मचारी भर्ती निगम' के माध्यम से भर्तियां करेगी। प्रशासन ने इसके गठन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इसके पीछे सरकार का मकसद कर्मचारियों के शोषण को रोकना और उन्हें स्थिरता व सुविधाएं देना है।
क्यों लिया गया फैसला?
सरकार ने पाया कि कई आउटसोर्सिंग कंपनियों में नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के रिश्तेदार और परिचित शामिल हैं। ये कंपनियां कई बार कैंडिडेट्स से रिश्वत लेकर भर्तियां करती थीं। कुछ एजेंसियों ने कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं दिया और उनके पीएफ तक जमा नहीं कराए। पिछले साल इसी वजह से 112 और 1090 के आउटसोर्स कर्मचारी आंदोलन कर चुके हैं।
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निगम की भूमिका
- सभी विभाग अब अपनी जरूरत के हिसाब से भर्ती प्रस्ताव निगम को भेजेंगे।
- निगम पद, योग्यता और शर्तों के मुताबिक भर्ती प्रक्रिया पूरी करेगा।
- वेतन और पीएफ की सुविधा समय पर सुनिश्चित की जाएगी।
- वेतन सीधे कर्मचारियों के खाते में जाएगा।
भर्ती प्रक्रिया
- ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे।
- समूह ‘ख’ और ‘ग’ पदों के लिए लिखित परीक्षा और इंटरव्यू होगा।
- समूह ‘ग’ के कुछ पदों और समूह ‘घ’ के पदों पर सीधे भर्ती होगी।
- एक-एक साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन कराया जाएगा।
- किसी भी अनुशासनहीनता या आपराधिक मामले में कर्मचारी हटाए जा सकेंगे।
वेतन और आरक्षण
- न्यूनतम वेतन 16,000 रुपये तय किया गया है।
- अनुसूचित जाति को 21%, अनुसूचित जनजाति को 2% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण मिलेगा।
वर्तमान कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित
अधिकारी के मुताबिक, फिलहाल जो कर्मचारी आउटसोर्स कंपनियों के जरिए काम कर रहे हैं, उनकी नौकरी पर कोई खतरा नहीं है। एजेंसी के टेंडर खत्म होने के बाद उन्हें निगम के जरिए संबंधित विभाग में काम दिया जाएगा।
बजट में भारी इजाफा
बीते 6 वर्षों में यूपी में आउटसोर्स कर्मचारियों का बजट लगभग तीन गुना बढ़ा है। 2019-20 में 684.19 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जबकि 2025-26 में 1796.93 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।
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सुझावों के लिए समयसीमा
12 मार्च तक सभी बड़े विभागों से निगम के गठन और कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर सुझाव मांगे गए हैं।