गोंडा: जिले के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत 158 शिक्षामित्रों को होली त्यौहार से पहले मानदेय न मिलने पर मंडलायुक्त शशि भूषण लाल सुशील के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग में हलचल मच गई। अपर निदेशक (एडी) बेसिक राम सागर पति त्रिपाठी ने वित्त एवं लेखाधिकारी सिद्धार्थ दीक्षित की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की है।
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एडी बेसिक ने बताया कि 12 मार्च को वित्त एवं लेखाधिकारी से कई बार शिक्षामित्रों के मानदेय के संबंध में जानकारी ली गई। पहले बताया गया कि मानदेय शाम चार बजे कोषागार भेजा गया है, फिर कहा गया कि शाम छह बजे भेजा गया, जबकि कोषागार कार्यालय उस समय तक बंद हो चुका था। दूसरी ओर, कोषागार कार्यालय की ओर से स्पष्ट किया गया कि कार्यालय होली के दृष्टिगत रात आठ बजे तक खुला था और बेसिक शिक्षा विभाग से कोई अभिलेख न आने के कारण भुगतान नहीं हो सका। एडी बेसिक ने आरोप लगाया कि वित्त एवं लेखाधिकारी ने उच्चाधिकारियों को गुमराह किया और कार्यों में लापरवाही बरती, जिससे विभाग और सरकार की छवि धूमिल हुई।
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उधर, मानदेय न मिलने से नाराज शिक्षामित्रों ने 12 मार्च को मंडलायुक्त से गुहार लगाई। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के जिलाध्यक्ष अवधेश मणि मिश्रा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने आयुक्त से हस्तक्षेप करने की मांग की। आयुक्त के निर्देश पर डीएम नेहा शर्मा ने तत्परता दिखाते हुए मध्य रात्रि को मुख्य कोषाधिकारी से कार्यालय खुलवाकर मानदेय भुगतान सुनिश्चित कराया।
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हालांकि, शिक्षामित्रों के खाते में 13 मार्च को मानदेय पहुंचा, लेकिन बैंकों के चार दिनों तक बंद रहने के कारण अधिकांश को होली के बाद ही धनराशि मिल पाई। जिलाध्यक्ष ने आयुक्त और डीएम का आभार जताते हुए बताया कि पटल लिपिक व वित्त लेखाधिकारी कार्यालय द्वारा लगातार गुमराह किए जाने के कारण शिक्षा मित्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
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एडी बेसिक ने साफ कहा कि इस पूरे प्रकरण में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।