एक दवा छीन सकती है आपकी आंखों की रोशनी, क्या आप भी कर रहे हैं इसका इस्तेमाल?

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नई दिल्ली: अगर आप स्टेरॉयड या इससे युक्त स्किन क्रीम, स्प्रे या इन्हेलर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए। एम्स (AIIMS) के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि स्टेरॉयड का लंबे समय तक उपयोग आपकी आंखों की रोशनी छीन सकता है। लगातार 6 हफ्ते से ज्यादा समय तक स्टेरॉयड लेने से आंखों की गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें अंधापन भी शामिल है।


क्या होते हैं स्टेरॉयड?

स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं होती हैं, जिनका इस्तेमाल शरीर में सूजन और एलर्जी को कम करने के लिए किया जाता है। ये दवाएं अस्थमा, एलर्जी, गंभीर त्वचा रोग, गठिया, जोड़ों की सूजन, ऑटोइम्यून बीमारियों और आंखों की सूजन में दी जाती हैं। इन्हें टैबलेट, इंजेक्शन, क्रीम और आई ड्रॉप्स के रूप में लिया जाता है। लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह या लंबे समय तक इनका सेवन आंखों के लिए घातक हो सकता है।

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ऑप्टिक नर्व को पहुंचता है नुकसान

एम्स के डॉक्टर्स के अनुसार, खांसी के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इन्हेलर, नाक की एलर्जी के लिए नेजल स्प्रे और स्किन इंफेक्शन के लिए दी जाने वाली क्रीम में स्टेरॉयड मौजूद होते हैं। इनका अत्यधिक या लापरवाही से किया गया इस्तेमाल आंखों की ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचा सकता है। ऑप्टिक नर्व आंखों को दिमाग से जोड़ने का काम करती है, और इसके डैमेज होने पर दोबारा रोशनी लौटना संभव नहीं होता।


ग्लूकोमा का बढ़ता खतरा

एम्स ग्लूकोमा यूनिट के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. तनुज दादा का कहना है कि स्टेरॉयड के कारण आंखों में दबाव बढ़ जाता है, जिससे ऑप्टिक नर्व पर बुरा असर पड़ता है। इससे ग्लूकोमा (काला मोतिया) होने की आशंका रहती है। सबसे खतरनाक बात यह है कि ग्लूकोमा की शुरुआत में कोई लक्षण नजर नहीं आता, और इसका पता तब चलता है जब मरीज की एक आंख से दिखना बंद हो जाता है।

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तनाव भी बढ़ा सकता है आंखों का प्रेशर

डॉक्टर्स के अनुसार, मानसिक तनाव भी आंखों के लिए खतरनाक हो सकता है। तनाव के कारण शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जिससे आंखों का दबाव (Intraocular Pressure) बढ़ सकता है। सामान्यतः यह दबाव 10-21 mm Hg होता है, लेकिन तनाव इसे अधिक कर ग्लूकोमा का कारण बन सकता है।

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क्या करें?

विशेषज्ञों की सलाह है कि स्टेरॉयड युक्त क्रीम, स्प्रे या दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना न करें। साथ ही तनाव को नियंत्रित रखें और नियमित रूप से आंखों की जांच कराते रहें, ताकि किसी भी समस्या का समय रहते पता लगाया जा सके।

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