प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या स्नान के दौरान हुई भगदड़ ने पूरे देश को झकझोर दिया है। हादसे में 17 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत और दर्जनों लोगों के घायल होने की खबर है। इस घटना के बाद श्रद्धालुओं के साथ-साथ साधु-संतों में भी भारी आक्रोश है। अखाड़ा परिषद के महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद पुरी इस हादसे से इतने व्यथित हो गए कि मीडिया से बातचीत के दौरान भावुक हो गए। उन्होंने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "हमने पहले ही कहा था कि कुंभ की सुरक्षा आर्मी को सौंपी जाए, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। निकम्मा प्रशासन पूरी तरह फेल हो गया। वीआईपी की जी-हुज़ूरी में लगा रहा, आम श्रद्धालुओं की चिंता ही नहीं की।"
प्रशासन पर क्यों उठे सवाल?
महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी का कहना है कि पिछले स्नान के दौरान भी प्रशासन को भीड़ प्रबंधन को लेकर चेतावनी दी गई थी, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने कहा, "किसी का बेटा चला गया, किसी का बाप चला गया… यह सब प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। पिछले स्नान के बाद ही अधिकारियों को सतर्क रहने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने VIP व्यवस्था में ही ध्यान लगाया, जिससे आम श्रद्धालुओं के लिए कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए।"
कैसे हुआ हादसा?
Maha Kumbh 2025: मंगलवार-बुधवार की रात संगम तट पर जब लाखों श्रद्धालु मौनी अमावस्या के 'अमृत स्नान' के लिए पहुंचे, तब भीड़ बेकाबू हो गई। सीमित रास्तों और अव्यवस्थित व्यवस्था के कारण अचानक भगदड़ मच गई। श्रद्धालु एक-दूसरे पर गिरने लगे, जिससे कई लोग कुचल गए। घटना के तुरंत बाद दर्जनों एंबुलेंस मौके पर पहुंचीं और घायलों को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन कई की हालत गंभीर बनी हुई है।
VIP कल्चर बना हादसे की वजह?
महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी और अन्य संतों का मानना है कि इस हादसे की एक बड़ी वजह प्रशासन का VIP संस्कृति पर ज्यादा ध्यान देना था। उन्होंने कहा, "जब प्रशासन VIP श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधाओं में व्यस्त था, तब आम भक्त असुरक्षित हो गए। VIP गेट बनाए गए, जिससे आम श्रद्धालुओं की आवाजाही प्रभावित हुई और भीड़ का दबाव बढ़ गया।"
क्या बोले अन्य संत?
महामंडलेश्वर के अलावा अन्य संतों ने भी प्रशासन पर नाराजगी जताई। कई संतों ने मांग की कि कुंभ मेले की सुरक्षा सेना को सौंपी जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के एक अन्य संत ने कहा, "यह प्रशासन की घोर लापरवाही का नतीजा है। जब तक सुरक्षा सेना को नहीं सौंपी जाएगी, ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।"
प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस हादसे के बाद प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं और मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की है। हालांकि, श्रद्धालुओं और संतों का कहना है कि सिर्फ मुआवजा देना समाधान नहीं है, बल्कि स्थायी रूप से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।