Utter Pradesh Shikshamitra News: उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान कब होगा, इस सवाल का जवाब फिलहाल अस्पष्ट है। उपचुनाव के बाद से शासन, प्रशासन, और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी ने शिक्षामित्रों के बीच असंतोष और अनिश्चितता को बढ़ा दिया है।
हाल ही में बलिया से विधायक और शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों के बीच मुलाकात हुई, जिसके बाद बताया गया कि विधायक ने शिक्षामित्रों की समस्याओं के समाधान के लिए सकारात्मक संकेत दिए। विधायक का कहना है कि समस्याओं का हल लगभग तय है और शासनादेश जारी होना बाकी है।
संघ के पदाधिकारियों की प्रतिक्रिया
संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला ने कहा कि सभी जनप्रतिनिधि और अधिकारी सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई मुलाकात और अन्य जनप्रतिनिधियों के प्रयासों की सराहना की। शुक्ला ने शिक्षामित्रों से धैर्य रखने की अपील करते हुए कहा,
"सरकार के स्तर पर प्रक्रिया चल रही है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।"
शिवकुमार शुक्ला ने बताया कि संगठन के पदाधिकारी लगातार लखनऊ जाकर उच्च अधिकारियों और मंत्रियों से मिल रहे हैं। संघ का मानना है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और जल्द ही शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
शिक्षामित्रों में बढ़ रही निराशा
दूसरी ओर, उपचुनाव के बाद शासन और प्रशासन की चुप्पी से शिक्षामित्रों के बीच चिंता और निराशा का माहौल है। उनका मानना है कि जब तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आता, तब तक आश्वासनों का कोई महत्व नहीं है।
शिवकुमार शुक्ला ने कहा,
"हमारे साथियों की 7-8 साल की प्रतीक्षा है। जब तक समाधान नहीं होगा, संतोष नहीं हो सकता। हालांकि, हमें यकीन है कि सरकार कुछ अच्छा करेगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो संगठन सामूहिक बैठक कर आगे की रणनीति तय करेगा।"
अधिकारियों और नेताओं की मुलाकातें
संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि विभिन्न जिलों में जनप्रतिनिधि और अधिकारी शिक्षामित्रों के मुद्दों पर सक्रिय हैं। हाल ही में डीजी और डायरेक्टर स्तर की बैठकों में शिक्षामित्रों की समस्याओं पर चर्चा हुई।
संघ ने शिक्षामित्रों से अपील की है कि वे धैर्य और हिम्मत बनाए रखें। संघ का कहना है कि वर्तमान में सभी संकेत सकारात्मक हैं, लेकिन अंतिम समाधान शासनादेश जारी होने के बाद ही स्पष्ट होगा।
आगे की राह
शिक्षामित्र संघ ने यह स्पष्ट किया है कि अगर सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो एक बड़ी बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें आगामी रणनीति तय की जाएगी। फिलहाल शिक्षामित्रों को उम्मीद और धैर्य के साथ इंतजार करना होगा।