नई दिल्ली: केंद्र सरकार आगामी बजट 2025 में मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए इनकम टैक्स में कटौती पर विचार कर रही है। यह कदम लाखों टैक्सपेयर्स की टेक-होम आय बढ़ाने और कंजम्पशन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उठाया जा सकता है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 15 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों के लिए टैक्स दरों में कमी की योजना बनाई जा रही है।
नई टैक्स व्यवस्था पर हो सकता है जोर
सरकार 2020 में लागू नई टैक्स व्यवस्था को अधिक आकर्षक बनाने की दिशा में काम कर रही है। इस सिस्टम में छूट और कटौतियों को हटाकर सरल टैक्स स्लैब पेश किए गए हैं। इसके तहत:
- 3 लाख रुपये तक की आय: 0% टैक्स
- 3-7 लाख रुपये की आय: 5% टैक्स
- 7-10 लाख रुपये की आय: 10% टैक्स
- 10-12 लाख रुपये की आय: 15% टैक्स
- 12-15 लाख रुपये की आय: 20% टैक्स
- 15 लाख रुपये से अधिक आय: 30% टैक्स
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दो विकल्पों में से चुन सकते हैं टैक्सपेयर्स
वर्तमान में टैक्सपेयर्स के पास दो विकल्प हैं:
1. पुरानी कर व्यवस्था: इसमें आवास किराए और बीमा जैसे लाभों पर छूट मिलती है।
2. नई कर व्यवस्था (2020): इसमें टैक्स दरें कम हैं, लेकिन छूट का प्रावधान नहीं है।
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मिडिल क्लास को क्यों चाहिए राहत?
मध्यम वर्ग लंबे समय से उच्च टैक्स दरों और बढ़ती महंगाई के बोझ तले दबा हुआ है। वेतन वृद्धि भी महंगाई दर के अनुरूप नहीं हो रही है, जिससे घरेलू बजट पर दबाव बढ़ गया है। ऐसे में, टैक्स कटौती मिडिल क्लास को न केवल राहत देगी बल्कि उपभोग क्षमता को भी बढ़ाएगी।
अभी नहीं हुआ अंतिम निर्णय
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने टैक्स कटौती के आकार पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। यह निर्णय बजट पेश होने से ठीक पहले, 1 फरवरी 2025 के आसपास लिया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से मिडिल क्लास को लाभ मिलने के साथ-साथ सरकार को नई टैक्स व्यवस्था अपनाने वालों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी।