Gonda: कहते हैं, प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। इसे सच साबित कर दिखाया है शिक्षा क्षेत्र के मुंडेरवा माफी स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक राम शंकर मिश्रा और उनके दो सहयोगी शिक्षकों ने। सरकारी विद्यालयों के प्रति समाज में प्रचलित नकारात्मक धारणाओं को बदलते हुए उन्होंने इस विद्यालय को उत्कृष्टता की मिसाल बना दिया है।
हर साल एडमिशन फुल, नामांकन संख्या 594
जहां अधिकतर सरकारी विद्यालयों को छात्रों के दाखिले के लिए “स्कूल चलो अभियान” जैसे प्रयास करने पड़ते हैं, वहीं मुंडेरवा माफी के इस विद्यालय में एडमिशन फुल का बोर्ड साल भर लगा रहता है। शैक्षिक सत्र 2024-25 में विद्यालय में कुल 594 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। खास बात यह है कि हर दिन 80 प्रतिशत से अधिक बच्चों की उपस्थिति दर्ज होती है।
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शिक्षा का उच्च स्तर, मॉन्टेसरी स्कूल को भी पीछे छोड़ा
विद्यालय में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए शिक्षकों ने विशेष मेहनत की है। बच्चों की गणित और विज्ञान की होमवर्क कॉपियां देखकर मॉन्टेसरी स्कूलों की शिक्षा भी फीकी लगती है। शिक्षकों की यह लगन शिक्षा क्षेत्र में इस विद्यालय को एक अलग पहचान दिलाती है।
सात कमरे और सात बीघा में चलता है स्कूल
मुंडेरवा माफी स्थित इस विद्यालय का संचालन सात बीघा क्षेत्र में किया जा रहा है। इसमें सात कक्षाओं के लिए कमरे हैं। इसके अलावा, परिसर में एक अतिरिक्त कक्ष और शौचालय भी बनाए गए हैं। यही नहीं, परिसर में ही राजकीय हाईस्कूल भी संचालित हो रहा है।
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मिड-डे मील की सख्ती से होती है निगरानी
विद्यालय में पांच रसोइयां बच्चों के लिए खाना पकाती हैं। प्रधानाध्यापक राम शंकर मिश्रा के निर्देश पर मिड-डे मील के मेन्यू का सख्ती से पालन किया जाता है। रसोइयों का कहना है कि बच्चों के खाने की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं होता।
शिक्षकों की कमी से जूझता विद्यालय
छात्रों की संख्या के अनुपात में शिक्षकों की कमी एक बड़ी चुनौती है। नियमानुसार 35 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए, लेकिन यहां 594 बच्चों के लिए केवल प्रधानाध्यापक सहित तीन शिक्षक और एक अनुदेशक कार्यरत हैं। इसके बावजूद शिक्षक अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता से बच्चों की शिक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ते।
प्रधानाध्यापक की मेहनत और समर्पण का नतीजा
प्रधानाध्यापक राम शंकर मिश्रा ने बताया कि सीमित संसाधनों और शिक्षकों की कमी के बावजूद छात्रों को बेहतर शिक्षा देने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। उनकी मेहनत और लगन ने इस विद्यालय को जिले में एक प्रेरणादायक उदाहरण बना दिया है।
मुंडेरवा माफी का यह विद्यालय साबित करता है कि जब समर्पण और लगन हो, तो संसाधनों की कमी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती।