नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 48 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनरों को बड़ा झटका दिया है। मंगलवार को राज्यसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट कर दिया कि आठवें वेतन आयोग के गठन का कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है। यह बयान तब आया है जब केंद्रीय कर्मचारियों के संगठनों द्वारा लंबे समय से आठवें वेतन आयोग की मांग की जा रही है।
वेतन आयोग पर सरकार का रुख
पंकज चौधरी ने राज्यसभा में सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सरकार की ओर से 2025 के बजट के दौरान भी आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर कोई योजना नहीं है। इससे पहले, 7वें वेतन आयोग के अनुमोदन के समय ही सरकार ने आठवें वेतन आयोग पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
डीए/डीआर में वृद्धि के बावजूद आयोग पर विचार नहीं
वर्तमान में महंगाई भत्ते (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) की दर 53 प्रतिशत तक पहुंच गई है। नियमों के अनुसार, डीए की दर 50 प्रतिशत पार करने के बाद कर्मचारियों के वेतनमान और भत्तों में बदलाव की संभावना बनती है। बावजूद इसके, आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर सरकार ने किसी भी तरह की पहल करने से मना कर दिया है।
कर्मचारी संगठनों का विरोध
कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस रुख को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव और भारत पेंशनर समाज (बीपीएस) जैसे संगठनों ने बार-बार सरकार से आठवें वेतन आयोग के गठन की मांग की है। बीपीएस के महासचिव एससी महेश्वरी ने भी कहा कि यह मांग अब अनिवार्य हो गई है।
पिछले वेतन आयोग का इतिहास
7वां वेतन आयोग 2013 में गठित हुआ था और इसकी सिफारिशें जनवरी 2016 से लागू की गई थीं। नए वेतन आयोग के गठन को लेकर कर्मचारियों को उम्मीद थी कि इसे जनवरी 2026 से लागू किया जाएगा। परंतु, सरकार के हालिया रुख ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
कर्मचारियों में आक्रोश
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में इस फैसले को लेकर भारी नाराजगी है।
कर्मचारियों ने कहा कि वेतन आयोग के गठन के बिना, वेतन और भत्तों में सुधार की कोई उम्मीद नहीं बची है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि इस मुद्दे पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
सरकार के इस फैसले के बाद केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक गया है। अब देखना होगा कि कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर आगे क्या कदम उठाते हैं।