2768 सरकारी शिक्षकों की नौकरी पर क्यों लटकी तलवार? संबंधित जिलों में केस भी दर्ज


पटना उच्च न्यायालय के निर्देश पर बिहार में नियोजित शिक्षकों से जुड़े मामलों में शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच पूरी कर ली गई है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने इस मामले में निगरानी जांच संख्या - बीएस-08/2015 की रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंप दी है। कुल 2768 आरोपितों के खिलाफ 1563 कांड संबंधित जिलों में दर्ज कराए गए हैं।

निगरानी विभाग के प्रधान सचिव, अरविंद कुमार चौधरी ने सूचना भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि 3,52,927 नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच की गई। इनमें 80 प्रतिशत मामलों की जांच पूरी हो चुकी है। 354 मामलों में शैक्षणिक संस्थानों से संबंधित दस्तावेजों की जांच अन्य राज्यों से की जा रही है। इसके अलावा विभाग द्वारा सरकारी योजनाओं के चयनित मामलों की औचक जांच भी की जा रही है।

निगरानी विभाग के प्रधान सचिव ने कहा कि राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कार्रवाई की जा रही है। विभाग में रिक्त पदों पर पदाधिकारियों की तैनाती की जा रही है। फिलहाल, निगरानी संबंधित दर्ज प्राथमिकियों में केवल 43 मामले अभियोजन स्वीकृति के लिए लंबित हैं, जिनमें से 19 मामले दूसरे राज्यों से जुड़े हैं।

विभाग ने बताया कि जनवरी से अक्टूबर 2024 के बीच बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम, 2009 के तहत लोक सेवकों की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। अब तक 23 करोड़ 57 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है, जिसके लिए 25 घोषणा पत्र जारी किए गए हैं। इनमें से 15 घोषणा पत्र बिहार विशेष न्यायालय (संशोधन) नियमावली, 2024 के लागू होने के बाद जारी किए गए हैं।

विशेष निगरानी इकाई के एडीजी, पंकज कुमार दराद ने बताया कि 2007 से अब तक एसवीयू में 52 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जिनमें से 26 मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया है, जबकि 27 मामलों में अनुसंधान जारी है। इन मामलों में 43 आय से अधिक संपत्ति और 9 ट्रैप केस शामिल हैं।

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