दिवाली, जिसे दीपों का त्योहार भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है। इस दिन को प्रभु श्री राम के 14 वर्षों के वनवास से लौटने की खुशी में अयोध्या में दीप जलाकर मनाया गया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि हर वर्ष दिवाली पर घरों में दीप जलाए जाते हैं। लेकिन कई लोग यह समझ नहीं पाते कि दिवाली के बाद जले हुए दीपक का क्या करना चाहिए। क्या इन्हें फेंक देना चाहिए या किसी धार्मिक रीति के अनुसार निपटाना चाहिए?
दिवाली के बाद जले दीपक का महत्व
दिवाली समाप्त होने के बाद इन दीपों का सही उपयोग और निपटान करने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और धार्मिक रूप से इसे शुभ माना जाता है।
गोवर्धन पूजा में करें इस्तेमाल
दिवाली के बाद अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस पूजा में जले हुए दीपकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। गोवर्धन पूजा का महत्व भी दिवाली की तरह ही धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से गहरा है। इस दिन भगवान कृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने के उपलक्ष्य में पूजा की जाती है।
नदी में प्रवाहित करने की परंपरा
गोवर्धन पूजा के बाद बचे हुए दीपों को नदी में प्रवाहित करने का भी रिवाज है। ऐसा करना शुभ माना जाता है क्योंकि यह प्राचीन परंपरा का एक हिस्सा है जो धर्म और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने का संदेश देता है।
कुछ दीप रखें घर के मंदिर में
आप चाहें तो कुछ दीपकों को घर के मंदिर में भी रख सकते हैं। ऐसा करने से यह माना जाता है कि मां लक्ष्मी का आशीर्वाद घर में बना रहता है और परिवार पर सदैव उनकी कृपा बनी रहती हैं।
इस प्रकार, दिवाली के दीपों का सही तरीके से निपटान करने से घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
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