सहायक अध्यापक बने शिक्षामित्रों को मिल सकता है पुरानी पेंशन का लाभ


प्रयागराज: बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त शिक्षामित्रों को पुरानी पेंशन का लाभ मिलने की संभावना पर न्यायपालिका में बहस जारी है। रमेश चंद्र और 166 अन्य शिक्षामित्रों की ओर से उच्च न्यायालय में दायर याचिका के अनुसार, इन शिक्षकों का चयन अप्रैल 2005 से पहले निकले विज्ञापन के आधार पर किया गया था, जिसके तहत उन्हें सहायक अध्यापक के पद पर नियमित नियुक्ति मिली थी।

शिक्षामित्रों का तर्क है कि उनका चयन भी उसी विज्ञापन के आधार पर हुआ था और इसके पश्चात टीईटी तथा सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा पास करने के बाद उन्हें नियमित पद पर नियुक्ति मिली। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया है कि उनकी संविदा सेवाओं को जोड़कर उन्हें भी पुरानी पेंशन का लाभ प्रदान किया जाए।

19 नवंबर को उच्च न्यायालय ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी को निर्देशित किया है कि शिक्षामित्रों की सेवाओं को जोड़ने के संबंध में याचिका का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर तीन महीने के भीतर किया जाए। इस आदेश के तहत, परिषद को आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है ताकि शिक्षामित्रों को न्याय मिल सके।

सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के पिछले आदेशों में यह स्पष्ट किया गया है कि 28 मार्च 2005 से पहले संविदा पर कार्यरत ऐसे कर्मचारी जो बाद में स्थायी पद पर चयनित हो गए हैं, उन्हें उनकी संविदा सेवाओं को जोड़कर पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए। यह आदेश शिक्षामित्रों के लिए सकारात्मक संकेत हैं, जिससे उन्हें अपने लंबे समय से किए गए योगदान के लिए उचित सम्मान और सुरक्षा मिल सकेगी।

बेसिक शिक्षा परिषद ने इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। शिक्षामित्रों के पक्ष में यह कदम उनकी सेवा की मान्यता और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अगर उच्च न्यायालय की ओर से सकारात्मक निर्णय होता है, तो इससे हजारों शिक्षामित्रों को पुरानी पेंशन प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।

इस मामले की सुनवाई आगे भी जारी रहेगी और संबंधित पक्षों से अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत किए जा सकते हैं। शिक्षामित्र समुदाय इस निर्णय के परिणामों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

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