Lucknow: शैक्षिक सत्र 2024-25 समाप्त होने में बमुश्किल पांच महीने शेष हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के शिक्षकों के पारस्परिक स्थानांतरण (म्यूचुअल ट्रांसफर) के लिए अभी तक पोर्टल नहीं खोला गया है। इस देरी से न केवल शिक्षकों में बल्कि उनके संगठनों में भी रोष बढ़ रहा है।
पिछले साल भी लटकती रही प्रक्रिया
पिछले सत्र में अंतःजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण के लिए जुलाई 2023 में आवेदन शुरू किए गए थे, जबकि सूची जनवरी 2024 में जारी की जा सकी थी। करीब 20,000 शिक्षकों के तबादले उसी समय पूरे हुए। हालांकि, शासनादेश के अनुसार शैक्षणिक सत्र में दो बार ग्रीष्मावकाश और शीतावकाश के दौरान स्थानांतरण होना चाहिए था।
इस बार की स्थिति भी पिछली बार जैसी ही दिख रही है। शीतावकाश के दौरान स्थानांतरण की प्रक्रिया के लिए अब तक पोर्टल नहीं खोला गया है, जिससे शिक्षकों को चिंता है कि कहीं इस बार भी पूरी प्रक्रिया लटक न जाए।
शिक्षकों का संघर्ष और लापरवाही का आरोप
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष निर्भय सिंह का कहना है कि कई शिक्षक प्रतिदिन 60-70 किलोमीटर की दूरी तय कर विद्यालय पहुंचते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि पारस्परिक स्थानांतरण की नीति का पालन समय से होना चाहिए। संगठन की मांग है कि जल्द से जल्द पोर्टल खोला जाए ताकि शिक्षकों को राहत मिल सके।
ऑनलाइन आवेदन के बावजूद अड़चनें
शासनादेश में प्रावधान है कि शिक्षकों को पूरे शैक्षिक सत्र के दौरान ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा मिलेगी और स्थानांतरण ग्रीष्मावकाश या शीतावकाश में लागू होंगे ताकि विद्यालयी शिक्षा प्रभावित न हो। लेकिन, व्यवहारिक रूप में यह प्रावधान अधर में लटका दिखता है, क्योंकि पोर्टल अब तक नहीं खोला गया है।
शासन से जल्द समाधान की मांग
शिक्षकों और उनके संगठनों ने सरकार से अपील की है कि स्थानांतरण प्रक्रिया को बिना देरी के सुचारू रूप से चलाया जाए। उनका कहना है कि शीतावकाश में स्थानांतरण न होने पर यह पूरे सत्र की शिक्षा व्यवस्था को बाधित कर सकता है।