शिक्षा निदेशालय ने जारी किए सख्त निर्देश, अनुपालन न करने पर होगी कार्रवाई
Shimla: हिमाचल प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने बड़ा कदम उठाया है। प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की अन्य विभागों के गैर-शैक्षणिक कार्यों में तैनाती पर रोक लगा दी गई है। इसके तहत, अब शिक्षक केवल चुनाव और जनगणना जैसे अनिवार्य कार्यों में ही हिस्सा लेंगे। निदेशालय ने सभी जिला उपनिदेशकों को इस आदेश का सख्ती से पालन कराने के लिए निर्देशित किया है।
प्रशिक्षण और सेमिनार में भाग लेने के लिए भी जरूरी होगी अनुमति
निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि शिक्षक अब किसी भी प्रशिक्षण या सेमिनार में बिना पूर्व अनुमति के हिस्सा नहीं ले सकेंगे। इस फैसले के पीछे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होने की शिकायतों और शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट को मुख्य कारण बताया गया है। कई प्राथमिक स्कूल केवल एक या दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं, ऐसे में उनकी गैरहाजिरी से पठन-पाठन बुरी तरह बाधित हो रहा है।
राज्य की एनएएस रैंकिंग में गिरावट के बाद लिया गया फैसला
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS) 2021 में हिमाचल प्रदेश की रैंकिंग 13 से गिरकर 21 हो गई है। गिरती रैंकिंग और शैक्षिक मानकों पर चिंता जताते हुए सरकार ने कक्षा 1 से 5 तक अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू की है। लेकिन शिक्षकों की बाहरी कार्यों में तैनाती से पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिससे सुधार की योजनाएं भी पटरी से उतर रही हैं।
अनधिकृत तैनाती पर जिला उपनिदेशक होंगे जिम्मेदार
आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि यदि किसी शिक्षक की अन्य विभागों में अनधिकृत रूप से तैनाती पाई जाती है, तो संबंधित जिला उपनिदेशक को जवाबदेह ठहराया जाएगा। इसके अलावा, शिक्षकों की अनुपस्थिति या निर्देशों का उल्लंघन होने पर उनके खिलाफ नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।
सुधार की दिशा में सामूहिक प्रयासों की अपील
राज्य सरकार ने शैक्षिक सुधारों की दिशा में सभी हितधारकों से सहयोग की अपील की है। शिक्षकों की नियमित उपस्थिति को सुनिश्चित कर सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना प्रशासन की प्राथमिकता है। इस आदेश का उद्देश्य विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराना और भविष्य में राज्य की रैंकिंग सुधारना है।