भारत में संपत्ति खरीदारी के दौरान फर्जीवाड़े की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में जमीन की खरीद से पहले सावधानी रखना बेहद जरूरी है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सूची दी गई है, जिनका वेरिफिकेशन आपको सरकारी स्तर पर करना चाहिए:
1. विक्रेता के नाम पर पंजीकृत खाता: सबसे पहले, सुनिश्चित करें कि विक्रेता के नाम पर भूमि का पंजीकरण हो चुका है। यह जानकारी आप स्थानीय राजस्व विभाग या भूमि रिकॉर्ड से प्राप्त कर सकते हैं।
2. पुराने या पेंडिंग केसों की जांच: किसी भी कानूनी विवाद से बचने के लिए, विक्रेता के खिलाफ पुराने या पेंडिंग केसों की जांच करें। इसके लिए आप एक वकील की सहायता ले सकते हैं।
3. फिजिकल सर्वे और प्रॉपर्टी का निरीक्षण: खुद जाकर प्रॉपर्टी का निरीक्षण करें और उसके भौगोलिक स्थिति और स्थिति की पुष्टि करें। इससे आपको जमीन की सही स्थिति का पता चलेगा।
4. प्रॉपर्टी टाइटल दस्तावेजों का वेरिफिकेशन: प्रॉपर्टी के टाइटल, उत्तराधिकार सर्टिफिकेट, बिक्रीनामा, गिफ्ट डीड, वसीयत, बंटवारानामा जैसे दस्तावेजों का सरकारी स्तर पर वेरिफिकेशन करें। यह सुनिश्चित करता है कि प्रॉपर्टी की पूरी कानूनी वैधता सही है।
5. डिवेलपमेंट राइट्स और अन्य एग्रीमेंट्स: यदि विक्रेता डिवेलपमेंट राइट्स का दावा कर रहा है, तो डिवेलपमेंट अग्रीमेंट और पावर ऑफ अटॉर्नी का वेरिफिकेशन करें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि विक्रेता को प्रॉपर्टी के विकास और बिक्री का अधिकार है।
6. स्टैंप और पंजीकरण: सभी टाइटल दस्तावेजों पर स्टैंप लगी होनी चाहिए और ये दस्तावेज सब-रजिस्ट्रार दफ्तर में पंजीकृत होने चाहिए। यह दस्तावेजों की वैधता की पुष्टि करता है।
7. RERA रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट्स: यदि आप किसी प्रोजेक्ट में निवेश कर रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि वह प्रोजेक्ट RERA (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) में रजिस्टर्ड है। इससे प्रोजेक्ट की वैधता और प्राधिकृत दस्तावेजों की पुष्टि होती है।
इन दस्तावेजों की सावधानीपूर्वक जांच करने से आप जमीन खरीदारी में संभावित फर्जीवाड़े और कानूनी समस्याओं से बच सकते हैं।