उत्तर प्रदेश में 69 हजार प्राइमरी टीचरों की भर्ती से जुड़ी प्रक्रिया में इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पूरी मेरिट लिस्ट को रद्द करते हुए सरकार को निर्देश दिया है कि तीन महीने के भीतर नई मेरिट लिस्ट तैयार की जाए, जिसमें बेसिक शिक्षा नियमावली और आरक्षण नियमावली का पालन किया जाए।
इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर अभ्यर्थियों ने 19 हजार पदों पर आरक्षण घोटाले का आरोप लगाया था। मामला तब उठकर चर्चा में आया जब अभ्यर्थियों ने पाया कि ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण की बजाय सिर्फ 3.86 फीसदी आरक्षण मिला और अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग को 21 फीसदी की जगह 16.2 फीसदी आरक्षण मिला। इसके बाद हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने भी आरक्षण घोटाले की पुष्टि की थी।
इससे पहले, अखिलेश सरकार के कार्यकाल में 1.72 लाख शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित किया गया था, जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इसके बाद यूपी सरकार ने 68,500 सहायक शिक्षकों की भर्ती की, जो भी विवादित रही। दिसंबर 2018 में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ और जनवरी 2019 में परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें 4 लाख 10 हजार अभ्यर्थियों ने भाग लिया।
अभ्यर्थियों ने आपत्ति जताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिससे हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सरकार को तीन महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है। अब इस मामले में सरकार का पक्ष सामने आना बाकी है।
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