Indian Golden Yellow Frogs: क्या आपने कभी पीले और सुनहरे रंग के मेंढकों को देखा है। आपने जरूर इसे कभी ना कभी देखा ही होगा। यह मेढक बरसात के समय में अक्सर देखे जाते हैं। इन्हें भारतीय बुलफ्रॉग, जिसे सुनहरा मेंढक भी कहा जाता है, उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर इन्हें कुर्रा भी कहा जाता है। एक रोमांचक प्राणी है जो अपने व्यक्तिगत रंगों और अनूठे व्यवहार से प्रसिद्ध है। यह मेंढक हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण भी हैं, क्योंकि इनका निकलना बारिश आने का संकेत होता है।
पीले मेंढक के बारे में अनोखी बातें
1. रंग और आकार:
- भारतीय बुलफ्रॉग के प्राकृतिक रंग गहरे पीले और सोने जैसे होते हैं। इनका आकार सामान्य मेंढकों से थोड़ा बड़ा होता है, लगभग 16 से 18 सेंटीमीटर तक।
2. क्यों होते हैं पीले:
- ये मेंढक अधिकतर अपने बिल में रहते हैं और अच्छी बारिश के समय ही सतह पर आते हैं। इनका रंग बदलने का विशेष स्वभाव होता है, जो केवल नर मेंढकों में होता है। जो मादा मेंढकों को आकर्षित करने के लिए अपना रंग पीले या सुनहरे रंग का कर लेते हैं। यह केवल प्रजनन के समय तक ही पीले होते हैं। प्रजनन की प्रक्रिया पूरी करने के बाद इनका रंग भी हरा हो जाता है।
3. बारिश के सूचक होते हैं:
- भारतीय बुलफ्रॉग अधिकतर मानसून के मौसम में देखे जाते हैं, जब बारिश की संभावना ज्यादा होती है। इनके रंगों की परिवर्तन की सूचना भी बारिश के आगामी होने का संकेत देती है।
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4. जहरीले नहीं होते हैं:
- बहुत लोग इन मेंढकों को जहरीला मानते हैं। लेकिन बताया जाता है की नमी युक्त क्षेत्र में रहने वाले यह मेंढक जहरीले नहीं होते हैं बल्कि पूरी तरह इको फ्रेंडली होते हैं।
भारतीय बुलफ्रॉग किसानों के लिए अधिक महत्वपूर्ण है न। जो किसानों को मौसम की पूर्वानुमान में मदद करता है। अगर यह जानकारी आपको पसंद आई है तो इसे शेयर करना ना भूलें।