शिक्षामित्रों की मांगे चुनाव से पहले पूरी हो जाती तो क्या UP की सभी सीटें जीतती बीजेपी? उमा देवी ने क्या कहा



Uttar Pradesh Shikshamitra News: उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र अपनी मांगों को लेकर लगातार सरकार के सामने मांगों को रख रहे हैं। आम शिक्षक/शिक्षामित्र एसोशिएशन उत्तर प्रदेश की प्रदेश अध्यक्ष उमा देवी शिक्षामित्रों की समस्याओं को वर्षों से उठाते आ रही है, धरने के दौरान उमा देवी ने अपना केश त्याग कर अपनी मांगों और समस्याओं को सरकार के सामने रखा था। दरअसल इस बार की लोकसभा चुनाव के परिणाम में NDA ने 293 सीटें जीत कर बहुमत का आंकड़ा पार तो लिया है लेकिन विपक्षी दलों का इंडिया अलायंस भी 234 सीटों के साथ मजबूत स्थिति में बना रहा, बीजेपी कुल 240 सीटें ही जीत पाई।


Shikshamitra Samachar: आइए पढ़ते हैं उमा देवी ने "सरकार अगर शिक्षामित्रों के हित में लोकसभा चुनाव के पहले कुछ कर देती तो उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जो खामियाजा भुगतना पड़ा, वो नहीं भुगतना पड़ता" इस प्रश्न पर क्या कहा?


चुनाव से पहले शिक्षामित्रों की मांगे पूरी हो जाती तो बीजेपी यूपी की सभी सीटों पर जीतती?

Shikshamitra Latest News: इस प्रश्न पर उमा देवी ने कहा "सौ प्रतिशत यकीन मानिए इन्होंने जब हम लोगों से वादे किया था की सेंट्रल में हम आ गए हैं राज्य में लाइए, पहली बार मुख्यमंत्री योगी जी बनें, जब मुख्यमंत्री बने तो इनका वादा था कि मैं आते ही आप लोगो की समस्या जितनी है, समाधान करूँगा। समाधान के बजाय हम ऐसी विपदा में लटक गए कि न राम मिले न रहीम मिले. हम जहाँ खड़े थे उससे भी 4 कदम और पीछे चले गए। हमारे बच्चों की शिक्षा दीक्षा बाधित हो गयी। हमारे मकान जो लोन पर थे वो मकान बैंकों ने जब्त करना शुरू कर दिया। जिन घरों में रोटियां थी वहां से अर्थियाँ उठने के बाद जिनके घर में माता-पिता न रह गए वो बच्चे फुटपात पर खड़े हो गए। नाते रिश्तेदारों ने भी फेक दिया। मैं बहुत कड़वा सच बोल रही हूँ। 


यह बीजेपी सरकार की देन है जो शिक्षामित्र सुहागिन होते हुए भी केश त्याग दीं और ब्राहमण भाइयों ने जनेऊ त्याग दिया। उन्होंने अपने दामन को बचाने के लिए हाई पॉवर कमेटी बना दी, उस समय के उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा थे, उनकी अध्यक्षता में कमेटी बनी और आज तक इनकी कमेटी ठंडे बस्ते में है। इन्हें उससे कोई लेना देना नहीं। इन्हें शिक्षा मित्र परिवार से कोई लेना देना नहीं है। इन्हे अहंकार था। इनका जो फंडा था उस फंडे को इन्होंने सोचा की वो फंडा हमारा चलता रहेगा।
संविधान बदलने की बात कर रहे और संविधान बना के और लोगो को उन्नत के शिखर पर पहुचाने की बात आपसे नही हो रही है।


मैं अपने भाई बहनों की बातों का सम्मान करती हूँ। मैने सम्मान किया था शिक्षामित्र ऐसी एक जुटता लाए। वो सरकार को दिखाएं। बिना रोये तो माँ भी अपने बच्चे को दूध नहीं पिलाती है। जो काम में मगन रहती है जब बच्चा आवाज देता है तो हमने तो सरकार को आवाज़ ही नहीं, हमने तो सारे कर्म कर दिए सुहागिन महिलाओं ने केश त्यागें, सरकार हिंदुत्व हिंदु मंदिर वो हिंदु के सुहागन बेटियां और ब्राहमण भाई हिंदू नहीं थे क्या? तो अब जनता ने इनको करवट करके दिखाया। जैसे हम दर्द सह रहे थे हम दिन गिन रहे, कौन सा सांसद किधर जायेगा मेरी सरकार का क्या होगा, इनके जितने बैठे हैं वो अपना गिनती कलकुलेशन शुरू किए हैं। अरे यही गिनती जिनसे आप अपना वादा करके बुला के लाये थे। 


आपको विश्वास करके 3 बार जीतने के बाद बेवकूफ बना दिया है। यही प्रधान मंत्री थे नरेंद्र मोदी जी, जब हमारा 25 जुलाई 2017 को कोर्ट से गतिविधियां अलग हो गयी, हमें रिजल्ट दूसरा दिया गया। अरे कौन सा प्राविधान बीजेपी की देन थी।


Post a Comment

Previous Post Next Post