उत्तर प्रदेश में क्यों हो रहा वकीलों का प्रदर्शन, जानिए हड़ताल का कारण और प्रभाव

Lawyers Protesting in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के हापुड़ में 25 अगस्त, 2023 को एक महिला वकील और एक पुलिसकर्मी के बीच हुए विवाद के बाद वकीलों पर लाठीचार्ज किए जाने के विरोध में उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में वकीलों का प्रदर्शन हो रहा है। इस प्रदर्शन की शुरुआत 13 सितंबर, 2023 को हुई थी और यह अब भी जारी है।


ये हैं वकीलों के प्रदर्शन के मुख्य कारण

  • हापुड़ में वकीलों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग।
  • वकीलों की सुरक्षा और सम्मान की मांग।
  • अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम, 1961 के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग।

वकीलों का आरोप है कि हापुड़ में हुए लाठीचार्ज में कई वकीलों को गंभीर चोटें आई हैं। उन्होंने इस घटना को वकीलों के साथ हुए अमानवीय व्यवहार बताया है। वकीलों का कहना है कि यह घटना वकीलों की सुरक्षा और सम्मान के लिए एक गंभीर चुनौती है।

वकीलों के प्रदर्शन के कारण उत्तर प्रदेश में न्यायिक कार्य प्रभावित हो रहा है। कई जिलों में अदालतें बंद हैं और वकीलों ने न्यायिक कार्य से बहिष्कार की घोषणा की है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने वकीलों के प्रदर्शन को समाप्त करने के लिए कई प्रयास किए हैं। सरकार ने हापुड़ में हुए लाठीचार्ज की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है। सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि, वकीलों ने सरकार के आश्वासनों से संतुष्ट नहीं हैं। वे दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने और अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग पर अड़े हुए हैं।

इन कारणों से भी प्रदर्शन कर रहे हैं वकील

वकीलों के प्रदर्शन के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ आप नीचे पढ़ सकते हैं

वकीलों की सुरक्षा और सम्मान के लिए खतरा:

वकीलों का मानना है कि हापुड़ में हुए लाठीचार्ज वकीलों की सुरक्षा और सम्मान के लिए एक गंभीर चुनौती है। उन्होंने कहा कि अगर इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया गया तो भविष्य में भी वकीलों के साथ ऐसा हो सकता है।

अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम का अच्छे से पालन नहीं:

वकीलों का कहना है कि अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम, 1961 का प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर इस अधिनियम का प्रभावी ढंग से कार्यान्वयन किया जाता तो हापुड़ में हुई घटना नहीं होती।

पुलिस की मनमानी:

वकीलों का कहना है कि पुलिस अक्सर मनमानी करती है और वकीलों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस की मनमानी पर अंकुश नहीं लगाया गया तो भविष्य में भी वकीलों के साथ ऐसा ही हो सकता है।

वकीलों के प्रदर्शन के प्रभाव

वकीलों के प्रदर्शन के कई प्रभाव हुए हैं, जिनमें से कुछ आप नीचे पढ़ सकते हैं:

न्यायिक कार्य प्रभावित:

वकीलों के प्रदर्शन के कारण उत्तर प्रदेश में न्यायिक कार्य प्रभावित हो रहा है। कई जिलों में अदालतें बंद हैं और वकीलों ने न्यायिक कार्य से बहिष्कार की घोषणा की है।

राजनीतिक दलों में असंतोष:

वकीलों के प्रदर्शन से राजनीतिक दलों में भी असंतोष है। कई राजनीतिक दलों ने वकीलों के साथ हुए लाठीचार्ज की निंदा की है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

सामाजिक असंतोष:

वकीलों के प्रदर्शन से सामाजिक असंतोष भी बढ़ा है। कई लोगों का मानना है कि वकीलों के साथ हुए लाठीचार्ज एक गंभीर घटना है और इस पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

वहीं सेंट्रल बार एसोसिएशन, लखनऊ ने 29 अगस्त को हुए लाठीचार्ज के विरोध में 21 सितंबर तक हड़ताल की घोषणा की है। साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी कई है। वहीं सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि अभी तक किसी भी वकील को कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया है। उन्होंने बताया कि हापुड़ के वकीलों की मांग पूरी हो जाए तो हम हड़ताल और प्रदर्शन खत्म कर देंगे। हापुड़ में बैठक के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।

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