उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 2 दशक से अधिक समय से कार्यरत शिक्षामित्र अपनी मांगों को लेकर 3 सितंबर को जगह-जगह संसद के आवासों का घेराव और तिरंगा यात्रा निकलेंगे। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के आह्वान पर शिक्षामित्र अपने मांगों को लेकर उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में यह कार्यक्रम करेंगे। जिसके बाद 9 अक्टूबर को शिक्षामित्र लखनऊ में आंदोलन भी करेंगे।
कार्यक्रम की जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष सतीश बालियान ने बताया कि 3 सितंबर के कार्यक्रम के बाद ही 9 अक्टूबर को लखनऊ में होने वाले आंदोलन की दिशा और दशा तय होगी। उन्होंने बताया कि सरकार शिक्षामित्र के साथ पिछले 6 वर्षों से सौतेला व्यवहार कर रही है प्रदेश में लगभग 50 हजार से ज्यादा की संख्या में शिक्षामित्र टीईटी पास हैं वहीं दूसरी और लगभग 1 लाख शिक्षामित्र स्नातक एवं दो वर्षीय बीटीसी ट्रेंड है। सभी शिक्षामित्र के पास 14 से लेकर 22 वर्षों का अध्यापन कार्य का अनुभव है परंतु और राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश राज्य की सरकार द्वारा शिक्षामित्र को उनके अनुभव का कोई लाभ नहीं दिया गया।
सतीश बालियान ने आगे बताया कि अब तक परदेस में 8000 से ज्यादा शिक्षामित्र की असामयिक मौत हो चुकी है आज भी प्रतिदिन एक से लेकर दो शिक्षामित्र कल के काल में समा रहा है। परंतु उत्तर प्रदेश की सरकार मौन है।
आंदोलन के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ सरकार की समाज को तोड़ने के लिए आंदोलन करने के लिए कमर कर चुका है। उन्होंने बताया कि आगामी 3 सितंबर 2023 को उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में शिक्षामित्र अपने-अपने सांसदों को ज्ञापन देंगे और तिरंगा यात्रा भी निकलेंगे। सरकार को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सितंबर महीने में शिक्षामित्र से संबंधित समस्याओं का समाधान का शासनादेश जारी नहीं किया गया तो अगले 9 अक्टूबर से प्रदेश के एक-एक शिक्षामित्र अपनी मांगों को लेकर लखनऊ की सरजमीं पर धरना प्रदर्शन करने और अनिश्चितकालीन आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।