25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट से समायोजन निरस्त होने के पश्चात शिक्षामित्र हर साल 25 जुलाई को काला दिवस के रूप में मनाते हैं। शिक्षामित्रों की मांग है कि उन्हें पुणे समायोजित कर अध्यापक का दर्जा दिया जाए।इस मौके पर पूरे प्रदेश में शिक्षामित्रों ने हाथ में काली पट्टी बांध कर विरोध दर्ज किया। साथ ही असमय दिवंगत हुए शिक्षामित्रों को श्रद्धांजलि भी दी गई।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त करने का फैसला दिया था। तभी से हम हर वर्ष इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाते हैं।
शिक्षामित्रों ने सरकार से की ये मांगे
शिक्षामित्र संघ के आह्वान पर 25 जुलाई को शिक्षामित्रों ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन दर्ज किया। साथ ही जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को सौंपा। इस मांग पत्र में शिक्षामित्रों ने कई मांगे रखीं। शिक्षामित्रों की मांग है कि नियमावली में संशोधन कर पुणे शिक्षामित्रों को समायोजित व नियमित किया जाए। व ही जब तक समायोजन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक 12 महीने और 62 वर्ष की सेवा को सुरक्षित किया जाए और सम्मानजनक वेतन दिया जाए। साथ ही नई शिक्षा नीति में सम्मिलित कर शिक्षामित्रों का भविष्य सुरक्षित किया जाए। शिक्षा मित्र संघ ने मांग की है कि मृतक शिक्षामित्रों के आश्रितों को जीविकोपार्जन हेतु नियुक्ति प्रदान की जाए। इसके साथ ही जो शिक्षामित्र शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हैं उन्हीं नियमों में शिथिलता प्रदान करते हुए सहायक अध्यापक के पद पर नियमित किया जाए।शिक्षा मित्र संघ ने अपने मांग पत्र में मूल विद्यालय में वापसी से वंचित शिक्षामित्रों को फिर से एक अवसर प्रदान करते हुए मूल विद्यालय में वापस किए जाने की मांग की है। साथ ही महिला शिक्षा मित्रों का विवाह के बाद उनके ससुराल के जनपद के विद्यालय में स्थानांतरण करने की भी मांग की है।
ये भी पढ़ें: अगस्त तक नहीं निकला हल तो सितंबर में शिक्षामित्र करेंगे महाआंदोलन
शिक्षामित्रों की नियुक्ति के बाद से अब तक क्या हुआ
शिक्षामित्रों की नियुक्ति साल 1999 में रेगुलर शिक्षकों की कमी को देखते हुए संविदा के आधार पर की गई थी। साल 2014 में बीटीसी ट्रेनिंग के जरिए शिक्षामित्रों को समायोजित किया गया था। जिसके बाद इन्हें शिक्षकों के समान वेतन मिलने लगा था। लेकिन फिर साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजन निरस्त कर इन्हें फिर से मानदेय पर रखा गया। आज शिक्षामित्रों को 11 माह का 10 हजार रुपए मासिक मानदेय मिलता है। शिक्षामित्र का कहना है कि महंगाई के इस दौर में सरकार को अपने उनका समायोजन करना चाहिए।