लखनऊ: आज से तकरीबन 14 साल पहले केन्द्रीय साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा विभाग ने पूरे देश में साक्षर भारत योजना की शुरुआत की थी। जिसके तहत उत्तर प्रदेश के लगभग हर ग्राम पंचायत में दो-दो प्रेरकों की नियुक्ति की गई थी। एक महिला और एक पुरुष प्रेरक 15 साल से अधिक उम्र के अशिक्षित लोगों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किए गए थे। जिन्हें प्रति माह 2 हजार रुपए मानदेय दिया जा रहा था। साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा विभाग ने प्रेरकों के माध्यम से गांव के निरक्षरों की परीक्षा करा कर उन्हें प्रमाण पत्र भी दिया था। लेकिन बाद में सरकार द्वारा वर्ष 2018 में इस योजना को बंद कर दिया गया। योजना बंद होते वक्त कई जिलों के प्रेरकों का वर्ष 2014 से जुलाई 2023 तक करीब 47 महीने का बकाया मानदेय भी रह गया। जो उन्हें अब तक नहीं मिला। प्रेरक पिछले 5 साल से बकाया मानदेय का इंतजार कर रहे हैं। बकाया मानदेय और अन्य मांगों को लेकर शिक्षा प्रेरक समय-समय पर अपनी बात सरकार के समक्ष रखते आए हैं। इसी कड़ी में 12 जुलाई 2023 को हरदोई के शिक्षा प्रेरकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने लखनऊ में केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर से उनके आवास पर मुलाकात की।
शिक्षा प्रेरकों के साथ बैठक में केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि हम शिक्षा प्रेरकों की पूरी तरह से मदद करेंगे। कौशल किशोर ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिक्षा प्रेरकों के साथ हैं। प्रेरकों की निश्चित मदद की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि जिन अधिकारियों के कारण प्रेरकों के मानदेय में विलंब हुआ है। जिन्होंने जानबूझकर शिक्षा प्रेरकों को परेशान किया है। उन पर कार्यवाही की जाएगी। इस संबंध में केन्द्रीय मंत्री कौशल किशोर की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधि मंडल योगी आदित्यनाथ से मिलेगा। और शिक्षा प्रेरकों का बकाया मानदेय दिलाने का कार्य किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि प्रेरकों की संविदा की बात मैं केंद्रीय शिक्षा मंत्री के सामने रखूंगा।
साथ ही केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने पूरे प्रदेश के शिक्षा प्रेरकों से अनुरोध करते हुए कहा कि सभी प्रेरक एकजुट रहें। और बुलाने पर एकत्रित हो जाए। साथ ही जब भी लखनऊ बुलाया जाए तो सभी प्रेरक लखनऊ पहुंचे। ताकि प्रेरकों के बकाया मानदेय का भुगतान हो सके।कौशल किशोर ने कहा कि हमारी सरकार भी चाहती है कि प्रेरकों का बकाया मानदेय भुगतान किया जाए।
क्या है शिक्षा प्रेरकों का मामला
वर्ष 2010 में भारत सरकार ने यह योजना शुरू की थी। योजना के तहत उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में वर्ष 2011 और 2012 में यह योजना शुरू हुई। जिसके तहत 2000 प्रति माह के मानदेय पर शिक्षा प्रेरकों की नियुक्ति शुरू हुई। पूरे प्रदेश में लगभग 1 लाख शिक्षा प्रेरकों की नियुक्ति हुई। हालांकि सरकार ने 31 मार्च 2018 को यह योजना बंद कर दी। आज तरकीबन 5 साल बाद भी कई प्रेरकों का 45 महीनों से अधिक का मानदेय बकाया है। जिसको लेकर अभी पिछले साल ही प्रदेश के करीब एक लाख से अधिक अनुदेशक हाईकोर्ट चले गए थे। तब सरकार ने वैकल्पिक शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर शिक्षा प्रेरकों के संबंध में रिपोर्ट भी मांगी थी।
अन्य राज्यों में क्या है प्रेरकों की मांग
उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश के भी शिक्षा प्रेरक अपनी मांगों को लेकर सरकार को ज्ञापन सौंप रहे हैं। अभी 10 जुलाई को मध्य प्रदेश के मंडीबामोरा के शिक्षा प्रेरकों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। और सेवा बहाली की मांग की। मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान में भी शिक्षा प्रेरकों ने अन्य पदों पर चयनित करने की मांग की है। अभी 11 जुलाई को राजस्थान के डूंगरपुर के शिक्षा प्रेरकों ने राज्य मंत्री मुमताज मसीह को ज्ञापन देकर महात्मा गांधी सर्वजनिक पुस्तकालय एवं वाचनालय में लोक शिक्षा प्रेरक के पद पर प्राथमिकता देकर चयनित करने की मांग की है।