सब्जी बेचने को मजबूर हैं यूपी के शिक्षामित्र | UP Shikshamitra News

सब्जी बेचने को मजबूर यूपी के शिक्षामित्र

उत्तर प्रदेश: कोई सब्जी बेच रहा है तो कोई राजमिस्त्री का काम कर रहा है। कोई सिलाई का तो कोई बाल कटिंग का काम कर रहा है… ये हाल है नौनिहालों का भविष्य संवारने वाले यूपी के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों का। क्योंकि जून में उन्हें केवल पंद्रह दिन का ही मानदेय मिलता है। जून महीने के केवल पांच हजार मानदेय से उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिस कारण शिक्षामित्र ग्रीष्मावकाश में इस तरह के काम करके अपना घर चलाने को मजबूर हैं।

जानिए क्या है शिक्षामित्रों की मांगे

ग्रीष्मावकाश में मजदूरी करने के लिए मजबूर शिक्षामित्रों की लंबे समय से एक ही मांग है। शिक्षामित्र चाहते हैं कि उन्हें समान कार्य समान वेतन दिया जाए। शिक्षामित्रों का कहना है कि वह भी शिक्षकों समान ही कार्य करते हैं। इसके साथ ही वह अन्य कार्य जैसे बालगणना, जनगणना, बीएलओ आदि जिम्मेदारियों का निर्वाहन पूरी ईमानदारी से करते हैं। अभी शिक्षामित्रों को 10000 प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है, शिक्षामित्र चाहते हैं कि या उनका मानदेय बढ़ाया जाए। या उन्हें शिक्षक पद पर समायोजित किया जाए।

अब तक शिक्षामित्रों के साथ क्या-क्या हुआ

उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के कार्यकाल से शुरू हुई शिक्षामित्र योजना के तहत हर ग्राम पंचायत से इंटर पास अभ्यर्थियों को को मेरिट के आधार पर चुना गया था। अखिलेश यादव की सरकार के समय में उन्हें पैंतीस सौ रूपए का मासिक मानदेय मिलता था। अखिलेश यादव सरकार ने उन्हें शिक्षक पद पर समायोजित कर दिया था। तब उन्हें शिक्षकों के समान वेतन मिलने लगा था। लेकिन इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। और 2017 में सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों के समायोजन को निरस्त कर दिया था। और शिक्षामित्रों को शिक्षक पद से हटाकर वापस शिक्षा मित्र बना दिया था। जिसके बाद उन्हें वेतन की जगह फिर से पैंतीस सौ रुपए का मानदेय मिलने लगा। अखिलेश यादव की सरकार जाने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार का कार्यकाल आया और योगी सरकार में शिक्षामित्रों का मानदेय पैंतीस सौ से बढा़कर दस हजार कर दिया गया। तब से लेकर अब तक शिक्षामित्र फिर से शिक्षक पद की मांग कर रहें है। इनमें से कुछ शिक्षामित्र शिक्षक पात्रता परीक्षा ( TET ) पास कर चुके हैं और वह शिक्षक भर्ती का इंतजार कर रहे हैं वहीं पर कुछ शिक्षामित्र अनुभव के आधार पर उत्तराखंड माॅडल की तर्ज पर समायोजन का राह देख रहे हैं।

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शिक्षामित्रों के लिए क्या है सरकार का रुख

शिक्षामित्रों के बारे में सरकार का रुख एकदम स्पष्ट है। विधानसभा से लेकर विधान परिषद तक शिक्षा मित्रों के सवाल पर हर बार सरकार ने अपना रुख स्पष्ट किया है।पिछली विधान परिषद के कार्यकाल में विपक्षी दलों के सवाल पर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने शिक्षामित्रों के बारे में बोलते हुए कहा कि अखिलेश यादव सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर शिक्षामित्रों को शिक्षक पद पर समायोजित किया था। हमारी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट समायोजन निरस्त होने के बाद जो शिक्षामित्र पैंतीस सौ रुपए के मानदेय पर आ गए थे उसे बढ़ाकर दस हजार रुपए किया।

शिक्षामित्रों को अब किससे है उम्मीद

ग्रीष्मावकाश में सब्जी बेचने को मजबूर शिक्षामित्रों की उम्मीदें 27 जून को होने वाले विधानसभा की विनियम समीक्षा समिति की बैठक से लगी हुई है। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि विनियम समिति की बैठक में शिक्षा मित्रों के मानदेय पर भी चर्चा हो सकती है। केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर पर भी टिकी हुई है। क्योंकि हाल में ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद सरकार शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर विचार करेगी। साथ ही शिक्षामित्र लगातार सरकार के सामने अपनी बात रख रहे हैं। आए-दिन ज्ञापन के माध्यम से शिक्षा मित्र सांसदों विधायकों से संपर्क उन्हें अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंप रहे हैं।

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