जानिए क्या है शिक्षामित्रों की समस्या हल ना होने का कारण | कब तक हो सकता है समस्या का समाधान!


प्रदेश : उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षा मित्र लंबे समय से अपनी समस्याओं के समाधान लिए संघर्ष कर रहे हैं। 2017 में सुप्रीम कोर्ट से समायोजन निरस्त होने के बाद ही शिक्षामित्र अवसाद में जी रहे हैं। लंबे समय से चल रहे संघर्ष के बावजूद भी अभी तक शिक्षा मित्रों के लिए कोई उज्जवल भविष्य नजर नहीं आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट के समय के निरस्त होने के बाद शिक्षामित्रों ने कई बार सरकार से अपने समायोजन की मांग की। लेकिन वह अभी तक पूरी नहीं हुई। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शिक्षामित्रों की जिम्मेदारी ली थी। अभी इसी वर्ष फरवरी महीने में शिक्षामित्रों ने लखनऊ में एक बड़ा प्रदर्शन भी किया था। जिसमें केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान करने का वादा किया था। लेकिन अभी तक शिक्षामित्रों के पक्ष में सरकार का कोई भी फैसला सामने नहीं आया है।

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क्या है शिक्षामित्रों की मांग

शिक्षामित्रों की मांग है कि उन्हें समान कार्य का समान वेतन दिया जाए। अभी शिक्षामित्रों को 11 माह का मानदेय मिलता है लेकिन शिक्षामित्र चाहते हैं कि उन्हें पूरे 12 महीने का मानदेय दिया जाए। शिक्षामित्र का कहना है कि वह भी शिक्षकों की तरह ही सभी कार्य करते हैं। इसलिए उन्हें शिक्षकों के बराबर वेतन मिलना चाहिए। शिक्षामित्रों का कहना है कि हम टेट पास करने के बावजूद भी कम मानदेय पर कार्य करने को मजबूर हैं। हमारा मानदेय बढ़ाया जाए। वही कुछ शिक्षामित्रों का कहना है कि उन्हें 20 वर्ष तक कठिन परिश्रम किया है उनका मानदेय तो बढना ही चाहिए।

क्या कह रही है सरकार

शिक्षामित्र मुद्दे पर योगी सरकार ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। विधान परिषद के पिछले सत्र में विपक्षी दलों के सवाल पर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने खड़े होकर कहा था कि सरकार ने शिक्षामित्रों के समायोजन को निरस्त होने के बाद जब उनका मानदेय 3500 था तो उसे बढ़ाकर 10 हजार किया। और आगे आवश्यकता पड़ने पर सरकार शिक्षामित्रों के लिए जो भी किया जा सकेगा करेगी।

कब तक हो सकती है शिक्षामित्रों की परेशानी खत्म

शिक्षामित्रों को आस है कि 2024 के चुनाव से पहले सरकार उनके लिए कुछ बड़ा कदम उठा सकती है। वहीं केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिक्षामित्रों को आश्वासन दिया है कि 2024 में वह भाजपा के साथ आए और चुनाव के बाद भाजपा शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान करेगी। वहीं 27 जून दोपहर 12.15 बजे UP विधान परिषद की विनमय समीक्षा समिति की बैठक होगी । जिसमें शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने जाने की मांग पर चर्चा की जा सकती है। शिक्षामित्रों को इस बैठक से भी बहुत उम्मीदें हैं।

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