देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य की नौकरियों में दूसरे राज्यों से आने वाले अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। खासकर राज्य की बेसिक शिक्षक भर्ती में बाहर के अभ्यर्थियों की भागीदारी को लेकर उठे विवाद के बीच कार्मिक विभाग ने यह स्थिति साफ कर दी है।
कार्मिक विभाग के अनुसार, पुनर्गठन अधिनियम की धारा 157 और पांचवीं-छठी अनुसूची के प्रावधानों के तहत उत्तराखंड की अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) की पहचान राज्य स्तर पर अलग से की गई है। इसलिए, उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों से आने वाले उम्मीदवारों को उत्तराखंड की राज्याधीन सेवाओं में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता।
इस मामले को लेकर कार्मिक विभाग के साथ-साथ समाज कल्याण विभाग और शिक्षा विभाग ने भी परामर्श लिया था। शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने मामले पर न्याय विभाग से भी राय मांगी थी, और न्याय विभाग की राय भी कार्मिक विभाग के रुख के अनुरूप ही आई।
राज्य सरकार के इस फैसले से यह साफ हो गया है कि शिक्षक भर्ती सहित अन्य सरकारी भर्तियों में केवल उत्तराखंड के मूल निवासियों को ही आरक्षण का लाभ मिलेगा। अन्य राज्यों के अभ्यर्थी समान श्रेणी में आरक्षण की मांग नहीं कर पाएंगे, जिससे भर्ती प्रक्रिया में बाहरी उम्मीदवारों को सीमित किया जा सकेगा।
यह निर्णय उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों के स्थानीय अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देने और आरक्षण संबंधी विवादों को समाप्त करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।