Loksabha Elections BJP Result RSS News: देश का कोई भी चुनाव हो आरएसएस हमेशा बीजेपी के साथ रहती है, बीजेपी की मेहनत और आर एस एस का तालमेल ऐसा रहा की 10 साल तक लगातार मोदी सरकार का डंका बजता रहा और तीसरी बार बीजेपी को एनडीए गठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाना पड़ा। बीजेपी का नारा था 400 पार का, लेकिन हकीकत की जमीन पर मिले जनादेश में मोदी के नाम पर बीजेपी को सिर्फ 240 सीटों से नवाजा जो की पूर्ण बहुमत से 32 नंबर पीछे है।
ये भी पढ़ें- योगी आदित्यनाथ के 5 बड़े एक्शन से यूपी में हड़कंप
सवाल है आखिर ऐसा क्यों हुआ? क्या आर एस एस से दूरी बनी गठबंधन की मजबूरी? क्या चुनाव के वक्त जमीन पर आरएसएस अक्टिव नहीं रही?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बीजेपी की बेक बोन माना जाता है। संघ के कार्यकर्ता हर चुनाव में पूरी तरह से बीजेपी का प्रचार-प्रसार करते हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस बार के चुनाव में बीजेपी की बैकबोन उसके पीछे खड़ी नहीं रही। संघ चुनाव में भले बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए सीधे तौर पर काम नहीं करता है, लेकिन ये तय करने की जिम्मेदारी संघ हमेशा निभाता रहा है। कम से कम बीजेपी के समर्थक और ऐसे वोटर मतदान के दिन वोट देने जरूर पोलिंग बूथ तक पहुंचे, जो बीजेपी के कट्टर वोटर हैं, लेकिन इस बार ऐसा ना होता दिखा।
गर्मी की वजह से वोटिंग प्रतिशत लगातार कम होता रहा। लेकिन ऐसा माना जाता रहा है कि संघ के स्वयंसेवक हमेशा की तरह इस बार एक्टिव नहीं दिखे।
चुनाव के दौरान लगातार वोटिंग प्रतिशत निचले स्तर पर रहा। सूत्रों के मुताबिक शुरुआती पांच चरणों में संघ ने चुनाव पर ना तो कोई बैठक की और ना ही बीजेपी को उसका कोई संदेश आया। सूत्रों के हवाले से यह खबर भी आई कि छठे चरण से पहले चीजें बदली, आरएसएस की बैठक हुई। आगे काम करने के लिए बातचीत भी हुई।
ये भी पढ़ें - क्या Modi 3.0 में खत्म होगा मुस्लिम आरक्षण? NDA सरकार में कैसे पूरी होगी मोदी की गारंटी
बीजेपी अध्यक्ष के बयान से RSS हुआ BJP से दूर?
छठे चरण की वोटिंग से ठीक पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का एक बयान "पार्टी उस समय से विकसित हुई है जब उसे आरएसएस की जरूरत थी और अब वो सक्षम है और अपना काम खुद चलाती है। आर एस एस एक वैचारिक मोर्चा है और अपना काम करता है।"
माना यही जा रहा है की चुनाव के बीच जेपी नड्डा का आरएसएस को लेकर दिया गया ये बयान स्वयंसेवकों को रास नहीं आया। सूत्रों की माने तो ये बयान संघ के भीतर चर्चा में रहा और इसका असर ये हुआ कि संघ के स्वयंसेवक एक्टिव नहीं हुए जबकि बाहरी नेताओं की फौज को बीजेपी में लाने से संघ पहले ही नाराज़ था।
महाराष्ट्र इसका बड़ा उतारण था फिर वही हुआ जिसकी उम्मीद नहीं की जा रही थी। बीजेपी को 24 के चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ा और अब बैसाखियों के सहारे सरकार बनाने की मजबूरी सामने खड़ी है। कहा जा रहा है कि 2004 के बाद 2024 में आरएसएस चुनाव के दौरान एक्टिव नहीं रहा जिसका नतीजा सबके सामने है।