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20 वर्षों से अल्प मानदेय में कार्यरत यूपी के शिक्षामित्र प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों का भविष्य बनाने में लगे हैं, वहीं इन शिक्षामित्र तथा इनके परिवार का ही भविष्य सुरक्षित नहीं है, ना ही शिक्षा मित्रों के लिए रिटायरमेंट के बाद कोई भी पेंशन योजना है और ना ही मानदेय के अलावा शिक्षामित्रों को सरकार द्वारा कोई अन्य लाभ, वहीं इन शिक्षामित्रों को 12 माह में से सिर्फ 11 माह का मानदेय दिया जाता है, छुट्टियों में शिक्षामित्र सब्जी बेचने, मजदूरी करने तथा अन्य कार्य करने को मजबूर हो जाते हैं।
अपनी मांगों और अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए शिक्षामित्र लम्बे समय से सरकार के सामने अपनी बातों को रखते आए है।
लखनऊ में धरना करते हुए महिला शिक्षामित्रों ने अपना सिर मुंडवाया था, वहीं अक्टूबर माह में प्रदेश के लाखों शिक्षामित्र पूरे परिवार के साथ लखनऊ के इको गार्डन में पहुंचे थे, जहां शिक्षामित्रों को सरकार द्वारा बुलाया गया, शिक्षामित्रों को लखनऊ से सरकार द्वारा कमेटी बनाने की बात कहीं गई तथा कमेटी द्वारा शिक्षामित्रों के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया। आचार संहिता लागू होने के कारण प्रस्ताव का फाइल सरकार तक नहीं पहुंच पाया था, अब आचार संहिता खत्म होने के बाद शिक्षामित्र फिर एक बार संगठनों के द्वारा सरकार के सामने प्रस्ताव भेजने की तैयारी कर रहे हैं तथा धरना-प्रदर्शन की भी बात कही जा रही है।
क्या शिक्षामित्र करेंगे धरना-प्रदर्शन?
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के महामंत्री सुशील कुमार यादव ने धरने की बात पर कहा कि शिक्षामित्रों से पहले गलतियां हो चुकी है अब उन गलतियों को ना दोहराया जाए। शिक्षामित्र ज्यादा जल्दबाजी ना करें, चुनाव में परिणाम सरकार के अनुरूप नहीं आए हैं इसलिए जल्दीबाजी करके सरकार के पास जाना, मुख्यमंत्री से बात करना ज्यादा जल्दबाजी होगा। देश में सरकार के गठन के साथ विभागों का भी आवंटन हो गया है, यूपी के कई मंत्री सांसद बन गए हैं
इसलिए हो सकता है कि उत्तर प्रदेश में कुछ फेरबदल हो, जो मंत्री सांसद बन गए हैं उनका विभाग किसी और को मिलेगा और विभागीय अधिकारियों का भी फेरबदल हो सकता है। 18 अक्टूबर का जो धरना हुआ था उसकी तैयारी में 2 महीने से अधिक समय लगा था इसलिए आगे कोई भी धरना करने के लिए तैयारी करनी होगी, धरनें के लिए लम्बी रणनीति बनानी होगी।
शिक्षामित्रों का प्रस्ताव और धरना
UPPSS के महामंत्री ने संगठन का विचार देते हुए कहा "पुनः एक बार संगठन के लोग प्रस्ताव के संबंध में विभाग के निदेशक, महानिदेशक स्कूल शिक्षा, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा वा उप सचिव उत्तर प्रदेश शासन से मिलेंगे और शिक्षामित्रों का प्रस्ताव आगे बढ़ाने का निवेदन करेंगे।
अगर सरकार हमारी बातों को नहीं सुनती है या अचार संहिता के कारण जो प्रस्ताव रूका था उसे आगे ना बढाया गया तो फिर धरना भी जरूर किया जाएगा।