शिक्षामित्रों के लिए कमेटियां बना-बना के सरकार ने टाइमपास किया, जानें उमा देवी ने क्या कहा?

Shikshamitra News: कई वर्षों से लगातार शिक्षामित्र अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर सरकार और अधिकारियों के सामने अपनी बातों को रखते आए हैं, लेकिन अभी तक सरकार द्वारा इनकी मांगों को गंभीरता से नहीं सुना गया। अक्टूबर में धरना-प्रदर्शन के बाद कमेटी बनी, जिसका प्रस्ताव तैयार होने के बाद शिक्षामित्रों के बीच एक माहौल बना कि अब शायद इनकी मांगों को सरकार द्वारा पूरा कर दिया जाएगा, लेकिन उसी समय आचार संहिता लगने के कारण प्रस्ताव की फाइल को रोक दिया गया, जिसकी जानकारी शिक्षामित्र संघ ने दी। आम शिक्षक/शिक्षामित्र एसोशिएशन उत्तर प्रदेश की प्रदेश अध्यक्ष उमा देवी ने शिक्षामित्रों की समस्याओं को बताते हुए क्या कहा?


शिक्षामित्रों के समस्याओं पर उमा देवी ने क्या कहा

Shikshamitra Samachar: शिक्षामित्रों की समस्याओं के संबंध में प्रदेश अध्यक्ष उमा देवी ने कहा "समस्याओं का समाधान तो सरकार के पास बहुत अच्छे तरीके से था। हाई कमेटी उन्होंने बना के ठंडे बस्ते में डाल के वो खाली कमेटियां बना-बना के अपना टाइम पास किए। दर्द सुनने के बजाय उन्होंने अनसुना किया। परिस्थितियों को देखने के बजाय उन्होंने परिस्थितियों को और थोप दिया और सबसे बड़ी विडम्बना करीब-करीब 10 हजार परिवार आज बच्चे जो हैं, रोटी के लिए तड़प रहे हैं, उनके माता-पिता हैं. सरकार को इन सभी बिंदुओं को ध्यान देना होता तो बड़े अच्छे अच्छे समय आये, सरकार ने स्वयं का किया हुआ वादें को नकारा।


हम लड़ते है अपनी बात को रखते है शासन में, लेकिन शासन कोरा आश्वासन देकर हमें लौटाता है। हम इंतजार करते हैं. मैं धन्यवाद देना चाहूंगी आप मीडिया बंधुओं का की आपके माध्यम से जो बात उठती है, जनता जनार्दन में जाती है, शासन तक जाती है, आला अफसरों तक जाती है, मंत्री नेताओं तक जाती है. तो क्या बीजेपी के कानों में यह बात नहीं पहुँचती है। 


बाकी यदि कोई मीडिया के पोस्ट पर 1 टिप्पणी कर देता है तो वो पूरा हाहाकार मचा देते है कि उन्होंने बीजेपी के खिलाफ टिप्पणी की है और इतना सारा दर्द शिक्षा मित्र परिवार उठाता है। अपने दर्द को मीडिया से लेकर कौन सा ऐसा दल है जहाँ अपने दर्द को अवगत नहीं कराया।


तब भी सरकार को दिखाई नहीं देता है, सुनाई भी नहीं देता है। गूंगी और बहरी सरकार हो जाती है। हम बड़े अच्छे भाव में आपसे कहना चाहेंगे की जो दर्द आज हम झेल रहे थे वो दर्द सरकार को भी मिल रही है। सरकार को भी बड़ा अहंकार हो गया था की शिक्षा मित्र हमारा क्या कर लेगा। लेकिन शिक्षा मित्रों ने कस कर के उनको एहसास करा दिया। शिक्षा मित्रों को दरकार करने का आपको कितना बड़ा रिजल्ट मिला है।

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